पानी की गुणवत्ता सवालों के घेरे में फिर भी जानबूझकर अनजान बन बैठे हैं जिम्मेदार
सिवाना।
यदि आप पानी पीने जा रहे हैं तो जरा संभलिए! पानी पीने से पहले जरा यह पता कर लें कि जो पानी आप पीने जा रहे हैं, वह स्वच्छ एवं पीने योग्य भी है या नहीं। दरअसल सिवाना उपखंड क्षेत्र में आरओ के नाम पर लोगों को साधारण पानी ही पिलाया जा रहा है। जबकि दाम आरओ पानी के ही वसूले जा रहे हैं। कम गुणवत्ता होने के कारण इस पानी से लोगों में बीमारियां फैलने का डर भी बना रहता है। बता दें कि क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा पानी का हैं। क्योंकि यहाँ पानी की बहुत किल्लत हैं और इसी किल्लत का फायदा उठाकर अनेक वाटर सप्लायर मोटा मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं। इन्हें लोगों के स्वास्थ्य से ज्यादा अपने व्यवसाय से मुनाफा कमाने की पड़ी हुई हैं। इसी चक्कर में जैसा पानी मिल जाए, वैसा ही सप्लाई किया जा रहा है। बावजूद इसके जिम्मेदार विभाग ने अब तक इनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नही की हैं। पहले यह कारोबार सिर्फ शहरों में ही चलता था लेकिन अब गांवो में भी इस कारोबार ने पांव पसार लिए हैं। पहले कैन पंहुचाते थे लेकिन अब एक बड़ी टँकी में पानी भरकर दुकान-दुकान सप्लाई करते हैं। मगर यह पानी स्वच्छ, शुद्ध एवं पीने योग्य होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
प्रदूषित या गंदे पानी से होतीं हैं ये बीमारियां
पानी का सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। अगर पानी दूषित है तो वह स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। पेट से जुड़ी अधिकांश बीमारियां पानी की खराबी की वजह से ही होती हैं। पीने के पानी की स्वच्छता के मामले में यदि कोई असावधानी होती है तो कई तरह के रोग शरीर को घेरने में देर नहीं लगाते। अगर पानी में स्वच्छता नहीं होगी तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। अशुद्ध पानी पीने से डायरिया, पीलिया, हैजा, बुखार आदि भयंकर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। उल्टी-दस्त होना तो बहुत मामूली सी बात है।
जिम्मेदार रत्तीभर भी गंभीर नही
क्षेत्र में 20-30 रुपये प्रति कैन पानी का धंधा जोरों पर है। लगभग वाटर पैकेजिग प्लांटों पर इस पानी की गुणवत्ता की कोई जांच नहीं होती है। बावजूद इसके जिम्मेदार रत्तीभर भी गंभीर नजर नही आ रहे हैं। बताते चलें की 20-30 रुपये कैन में जो शुद्ध पानी के नाम से बेची जा रही है। इसके लिए गुणवत्ता सहित अन्य जरूरी लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है। अगर बिना लाइसेंस कोई फिल्टर पानी बेचता है तो यह अवैध है।
शुद्ध पानी बताकर किया जा रहा सप्लाई
क्षेत्र में जिन घरों, प्रतिष्ठानों इत्यादि पर जो पानी शुद्ध बताकर सप्लाई किया जा रहा है उसकी गुणवत्ता का प्रमाण न तो पानी सप्लायर के पास है और ना ही किसी अधिकारी के पास। ऐसे में प्रशासन जानबूझकर अनजान हैं। विभाग द्वारा अब तक कोई ठोस कार्यवाही नही की गई हैं, जिसका आलम यह हैं यह कारोबार फलफूल रहा है।