दीपावली पर खपाने के लिए गांव-गांव में तैयार हो रहा है मिलावटी मावा ; जानकारी के बाद भी कार्यवाही करने में खाद्य विभाग नाकाम

दीपावली पर खपाने के लिए गांव-गांव में तैयार हो रहा है मिलावटी मावा ; जानकारी के बाद भी कार्यवाही करने में खाद्य विभाग नाकाम
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नमस्कार नेशन/सिवाना

दो दिन बाद दीपावली का त्यौहार हैं। इसको लेकर बाजार में मिलावटी मावा उतारने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। उपखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाको में इन दिनों सिंथेटिक पाउडर से बनाए जाने वाले मावे की भट्टिया दिन-रात धधक रही है। वहीं दूध में खोए का व्यापार करने वाले लोग सिंथेटिक खोए का भंडारण करने में जुट गए है। दीपावली के त्यौहार पर बिकने वाली रंग बिरंगी मिठाइयों से सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। और लोग बीमारी की चपेट में भी आ सकते हैं। लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी दिन रात संचालित होने वाली इन भट्टियों पर अंकुश लगा पाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। धनतेरस, दीपावली एवं भाई दूज का पर्व नजदीक देख खोया का व्यापार करने वाले लोग अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। क्षेत्र के भाखरडा बेल्ट में धड़ल्ले से भट्टियां संचालित की जा रही है। जहां सिंथेटिक पाउडर के सहारे मावा बनाने का काम चल रहा है। दिन-रात संचालित मावा भट्टियों पर पाउडर मिलाकर खोया का भंडारण चल रहा है। इससे त्योहार पर बढ़ती हुई मिठाई की मांग में सिंथेटिक खोया की आपूर्ति करने के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही है। लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी मिलावटी खोए के कारोबार को रोकने में पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं। बता दें कि सिंथेटिक खोया खाने से लोगों को बीमारियां भी हो सकती हैं जिससे लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है।

 

त्योहार के नजदीक बढ़ेगी मांग

दीपावली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आएगा, नकली और मिलावटी मावा की मांग बढ़ेगी। अभी यहां बनने वाला मावा थोक के भाव विभिन्न बाजारों में भेजा जा रहा हैं। जैसे जैसे दीपावली नजदीक आएगी वैसे वैसे मिलावटी मावा में इजाफा होगा। और वो धड़ल्ले से बाजार में बिकेगा, लेकिन इन पर अंकुश लगाने वालों आँखे मुद रखी हैं।

 

ऐसे तैयार होता है सिंथेटिक मावा

नकली मावा तैयार करने के लिए पिसे हुए आलू, शकरकंद, आरारोट, बेकिंग पाउडर, ऑयल और असली मावे को मिक्स किया जाता है। जब नकली माल बाजार में लाया जाता है, तो इसे असली मावे में मिक्स करने के बाद देशी घी की केमिकल फ्रेंग्रेंस डालकर पिंडी बना दी जाती है। इन्हें चिकना दिखाने के लिए रिफाइंड ऑयल लगाया जाता है। सफेदी के लिए आरारोट का उपयोग कर रहे हैं।

 

जैसा ग्राहक वैसा दाम

यहां खरीददार के हिसाब से 300 से 350 रुपए किलो के भाव से मावा की बिक्री होती है। फिर फुटकर विक्रेता अपना मुनाफा जोड़कर आगे बेचते हैं। मिलावटी मावा की सप्लाई बालोतरा, सिवाना और जालोर तक होती है, जबकि अधिकांश मिलावटी मावा बसों के माध्यम से अलग-अलग जगहों पर भेजा जाता हैं। इस अवैध कारोबार में लाखों रुपए की कमाई के लालच में ये आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

 

कार्यवाही के अभाव में कारोबार जोरो पर

उपखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर मिलावटी मावा बनाने का कारोबार इन दिनों जोर-शोर से चल रहा है। इस मावे काे कारोबारी त्योहार के चलते कारोबारी बाजार में खपा रहे हैं। इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों ने अभी तक यहां सैंपलिंग की कार्रवाई नही की हैं। यही कारण है कि पिछली बार के मुकाबले इस बार मिलावटी मावा का कारोबार ज्यादा हो रहा है।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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