अनदेखी : सड़क का निर्माण कार्य बंद, उड़ते धूल के गुब्बार से आमजन परेशान
विभागीय अधिकारी बने ठेकेदार के हिमायती, कार्य शुरू करवाने की बजाय दे रहे तारीख पर तारीख
नमस्कार नेशन/सिवाना/नवीन सोलंकी
बाड़मेर जिले के सिवाना उपखंड क्षेत्र के अंतर्गत मायलावास गांव में वर्तमान में सरकार की अनुशंसा पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीन सांडेराव-मायलावास वाया रायथल तक 68.75 लाख की लागत से 5.50 किमी का सड़क निर्माण होना हैं। लेकिन पिछले कई समय से संवेदक ने उक्त मार्ग पर पर गिट्टी डालकर निर्माण कार्य को बीच में ही छोड़ दिया हैं। ऐसे में वो नव निर्मित सड़क आमजन के लिए आफत बना हुआ हैं। क्योंकि उस सड़क से झांक रहे पत्थरो की वजह से प्रतिदिन दर्जनों वाहन पंचर हो रहे हैं, वहीं उछलने वाले पत्थरों से पैदल चलने वाले राहगीर चोटिल हो रहे हैं। उड़ते धूल के गुब्बार हर किसी के लिए परेशानी के सबब बने हैं। वहीं निर्माण कार्य का सूचना पट्ट नही लगने से ग्रामीणों को निर्मित होने वाले सड़क निर्माण की जानकारी नही मिल रही हैं। वहीं ठेकेदार ने बीच बीच में पुराने सड़क को ऐसे ही रख दिया हैं, जबकि सड़क का नवीनीकरण होना हैं। ग्रामीणों द्वारा लगातार स्वर मुखर किए जा रहे हैं इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों के जुंह तक नही रेंग रही हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा हैं कि क्या विभाग संवेदक के प्रहरी तो नही बने हुए हैं।
नही लगा सूचना पट्ट
इसे विभाग की अंधेरगर्दी कहें या संवेदक की मनमानी, क्योंकि यहां सड़क निर्माण कार्य बिना सूचना पट्ट लगवाए हुए ही हो रहा हैं। इस स्थिति को लेकर ग्रामीणों ने अनियमितता की आशंका जताई हैं, तो विभाग क्यों न इस आशंका को दूर करें।जबकि ग्रामीण लगातार अनियमितता का आरोप लगा रहे हैं। क्योंकि सूचना पट्ट नही लगने से योजना की जानकारी नही मिलती हैं। बता दें कि नियमानुसार कार्य शुरू होने से पूर्व सूचना पट्ट लगाने का प्रावधान हैं। इसके बावजूद यहां नही लगना कहीं न कहीं निर्माण कार्य में लीपापोती का अंदेशा हैं। जबकि विभागीय अधिकारियों का यह दायित्व बनता हैं कि संवेदक को निर्माण कार्य में पूर्ण सावधानी बरतने की सख्ती से हिदायत दें।
इनका कहना :
सड़क का निर्माण कई दिनों से रुका पड़ा हैं, इससे रेत के गुब्बार उड़ रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को सांस सम्बंधित बीमारियां हो सकती हैं, ऐसे में विभाग को चाहिए कि वो कार्य को अतिशीघ्र पूरा करवाएं, जिससे निर्बाध आवागमन शुरू हो सकें।
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भबूताराम देवासी, समाजसेवी