अनदेखी: अतिक्रमण की भेंट चढ़ा आमजन का आम रास्ता, जिम्मेदार बेपरवाह

अनदेखी: अतिक्रमण की भेंट चढ़ा आमजन का आम रास्ता, जिम्मेदार बेपरवाह
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ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर अतिक्रमण हटाने की मांग की

ग्राम पंचायत द्वारा निर्धारित समय पर कार्यवाही नही होने की वजह से बढ़ता जा रहा अतिक्रमण का दायरा

मायलावास

सिवाना उपखंड क्षेत्र के मायलावास गांव से मोकलसर रेलवे स्टेशन जाने वाले आम रास्ते पर कई लोगों ने अतिक्रमण कर अवैध कब्जा कर लिया हैं, जिससे आवागमन बाधित हो रहा हैं, नालियों पर अतिक्रमण कर पक्के निर्माण कर दिए हैं। सड़क संकड़ी हो गई हैं, यकीन मानिए अतिक्रमण का इससे बेहतरीन उदाहरण शायद ही कहीं देखने को मिले, बावजूद इसके अतिक्रमी बैखौफ हैं, क्योंकि इन्हें जरा सा भी आभास नही की जिस नाले से कुछ सालों पहले खुद के घरों से पानी की निकासी होती थी, वो नालियां आज कहाँ हैं? इसको लेकर ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त हैं। इस पर मायलावास सहित दर्जनों क्षेत्र के ग्रामीणों नें जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर रेलवे स्टेशन जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे तक लोगों द्वारा किये अतिक्रमण को हटाने की मांग की। इस दौरान अशोक कुमार, नारायण सिंह, दोलाराम, तेजाराम माली, तगाराम माली, विक्रम सिंह, श्याम सिंह, मोहन सिंह मोतीसरा, किशोर सिंह भवरानी, मनोहर सिंह सोढा, भीम सिंह सोलंकी, जगदीश सहित कई जने मौजूद रहे।

 

यह हैं मामला

दरअसल मोकलसर रेलवे स्टेशन पर सड़क के किनारे तक कुछ लोगों नें अस्थाई अतिक्रमण कर रखे है, अतिक्रमण के कारण आवागमन करने वाले लोगों को भारी दिक्क़तो का सामना करना पड़ रहा है, पहले इस मार्ग की चौड़ाई 35 फुट थी जो की अतिक्रमण के कारण घटकर मात्र 15 फुट ही बची है। ग्राम पंचायत द्वारा 2007-08 में घरो से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी के लिए नाली निर्माण करवाया गया था, लेकिन लोगों नें नाली को बंद करके नाली के ऊपर से सड़क तक 40 फुट तक अतिक्रमण कर दिया है। जिससे रेलवे स्टेशन जाने वाले वाहन चालकों को सामने से वाहन आने पर साइड देने में दिक्क़तो का सामना करना पड़ रहा है। ग्रमीणों ने गंदे पानी की नालियों पर कब्जे को हटाकर पानी की समुचित निकासी करवाने की मांग की।

 

कार्यवाही के अभाव में हौंसले बुलंद

ऐसा भी नही की जिन अतिक्रमियों ने ग्राम पंचायत की भूमि पर अतिक्रमण नही किया हो, क्योंकि जो रास्ता 35 फ़ीट का था वो 15 फ़ीट कैसे हो गया? बकायदा वहां नाली का निर्माण किया गया था, अब नाली का निर्माण तो ग्राम पंचायत सोच समझकर ही करवाएगी, इसके बावजूद अतिक्रमियों ने उस नाली पर ही अवैध कब्जा कर पक्के निर्माण करवा दिया। यह इसलिए हुआ क्योंकि ग्राम पंचायत ने इस दिशा में कोई कदम नही उठाया परिणामस्वरूप अतिक्रमियों के हौंसले बुलंद होते गए। जिसका खामियाजा आज आमजन को भुगतना पड़ रहा हैं।

 

नालियां तक चढ़ी अतिक्रमण की भेंट

जानकारी के मुताबिक घरों में गंदा पानी एकत्रित न हो इस हेतु 2007-8 में ग्राम पंचायत मायलावास ने आमजन मांग को प्राथमिकता देते हुए जल निकासी हेतु नालियों का निर्माण करवाया था। लेकिन आज की स्थिति देखें तो वो नालियां नदारद हैं। इस बीच सबसे बड़ा सवाल तो यह कि ग्राम पंचायत ने उक्त लागत से नालियों का निर्माण करवाया था, वो नालियां जमीदोंज कैसे हो गई? यह वाकई विचारणीय हैं।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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