ग्राम पंचायत की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा, विभाग बना धृष्टराज

ग्राम पंचायत की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा, विभाग बना धृष्टराज
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जहाँ लगने चाहिए थे उद्योग वहां इमारतें खड़ी कर दी, अब ग्राम पंचायत की सांठगांठ के चलते अतिक्रमी कूट रहे चांदी

समदड़ी

राजस्थान सरकार ने एक योजना चलाई थी, जिसके अंतर्गत हस्तकला के कारीगरों को जमीन आवंटित की गई थी। लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते आवंटित जमीन पर कहीं भी उद्योग नही खुल पाए। और वो योजना कागजों में ही दफन हो गई। दरअसल यह मामला बाड़मेर जिले के समदड़ी तहसील के करमावास गांव का हैं जहां सिवाना से समदड़ी जाने वाले स्टेट हाइवे पर स्थित सुइली-सांवरड़ा फांटा पर शिल्पबाड़ी योजना के अंतर्गत 30 जगहों पर उद्योग खुलने चाहिए थे, लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते वहां एक भी उद्योग नही खुल सका। वहीं मौके का फायदा उठाकर ग्राम पंचायत की मिलीभगत से वहां पट्टे जारी कर दिए हैं, जहाँ आवास, दुकानें आदि बना दी गई है। वहीं शेष पड़ी जगहों पर कुछ रशुकदार रंगरोगन करवाकर उसको हड़पने को आमादा हैं। उक्त मामले में तत्कालीन विकास अधिकारी ने ग्राम पंचायत को जांच के आदेश भी दिए थे लेकिन उनका तबादला हो जाने के बाद फिर से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जिसकी अभी तक कोई सुध नही ली जा रही हैं। जानकारी के मुताबिक उक्त क्षेत्र आबादी क्षेत्र में पड़ता बावजूद इसके यहां पत्थर कटिंग का काम जोरों पर हैं वहीं नीम हकीम मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

 

यह थी योजना

जानकारी के मुताबिक राजस्थान वित्त विभाग द्वारा शिल्पबाडी योजना 1987-88 में ग्रामीण व शहरी शिल्पकारों व दस्तकारों को कच्चा माल खरीदने तथा एक ही छत के नीचे आवास बनाने के लिये ऋण उपलब्ध कराई जाती है। चयनित शिल्पकारों को सरकार द्वारा निःशुल्क जमीन भी आवंटित की जाती है। वहीं आरएफसी से ऋण की व्यवस्था की गई थीं जिसमे भवन निर्माण पर आधी राशि अनुदान होती थी व आधी राशि कम ब्याज पर ऋण होता था।

 

ग्रामीणों ने की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग

शिल्पबाडी योजना के अन्तर्गत आवंटित की गई जमीन पर कब्जा कर आवास बनाने वालों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच करवाने को लेकर बाड़मेर जिला कलेक्टर को पत्र लिखा। पत्र में बताया कि ग्राम पंचायत करमावास में सुईली-सांवरड़ा फांटा पर राज्य सरकार की बहुउपयोगी योजना के अन्तर्गत वर्षो पुर्व आवास बने थे, ग्राम पंचायत की उदासीनता के चलते रसुकदार लोगो ने मकानों पर कब्जा कर अपने नाम पट्टे जारी करवा दिये हैं और कई भुखण्ड आवास बेचान कर दिये हैं, मौके पर शेष सुने मकानों का रसुकदार लोगों ने रंग रोगन करवा दिया हैं और उन्हें दुकाने व आशियानो में तब्दील कर दिया है एंव कुछ आवास तोडकर रास्ते भी बना रखे हैं।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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