भ्रष्टाचार की न खुले पोल इसलिए अधिकारीयों द्वारा उपाध्यक्ष पर बनाया जा रहा दबाव

भ्रष्टाचार की न खुले पोल इसलिए अधिकारीयों द्वारा उपाध्यक्ष पर बनाया जा रहा दबाव
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अधिकारी बने भ्रष्टाचार के प्रहरी, उपाध्यक्ष को दी जा रही धमकियां

नमस्कार नेशन/गडरारोड़

एक भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया हैं जिसमें आवाज मुखर करने वाले पर ही दभाव बनाया जा रहा हैं। जहाँ सहकारी समिति के अवलोकन करने एवं सूचना अधिकार लगाना एक उपाध्यक्ष को महंगा पड़ गया हैं। व्यवस्थापक एवं दी सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक सहकारिता विभाग के अधिकारी भी भ्रष्टाचार को दबाने के लिए एक भ्रष्टाचार की पोल को खोलने की बजाए उपाध्यक्ष को दबाने के लिए सजातीय अधिकारी जुटे हुए हैं। दरअसल यह मामला राजस्थान के पश्चिमी बाड़मेर जिले की सीमावर्ती उपखंड गडरा रोड का हैं, जहां 24 नवंबर 2022 को सहकारी समिति गडरा रोड के वार्ड वार चुनाव संपन्न हुए थे, जिसमें 12 सदस्य चुने गए थे। उस समय रिटर्निंग अधिकारी को किसी भी वार्ड मेंबर या व्यवस्थापक ने कोई आपत्ति नहीं लगाई थी। उसके बाद 2 दिसंबर 2022 को पदाधिकारियों के चुनाव संपन्न हुए, जिसमें उपाध्यक्ष चुनने के समय किसी प्रकार की कोई मेंबर या व्यवस्थापक ने आपत्ती नही लगाई।

सहकारिता नियमों को किया जा रहा दरकिनार

उपाध्यक्ष ने 12 दिसंबर को व्यवस्थापक से मिलकर अवलोकन कराने के लिए अवगत कराया तब आनाकानी की। तब विभिन्न तारीखों के अनुसार अधिकारियों को लिखित में सूचना विधि तथा मौखिक में भी अवलोकन कराने एवं सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन भी किए, मगर किसी भी प्रकार को कोई सुनवाई नही की गई। इसके बावजूद व्यवस्थापक के खिलाफ कार्यवाही ना कर सहकारिता नियमों को दरकिनार करते हुए उपाध्यक्ष को दबाने के लिए स्वजातीय अधिकारियों द्वारा उप रजिस्टर कार्यालय में दबाव देकर जहां की सहकारिता अधिनियम 2001 की धारा 87 के अनुसार निर्वाचन प्रक्रिया के 30 दिन की अवधि के भीतर कोई भी व्यक्ति अपील कर सकता है। उसके बाद में इमरजेंसी या विशेष प्रकरण पर अपील दर्ज होती है, फिर भी व्यवस्थापक के विरुद्ध कोई कार्यवाही न करते हुए उपाध्यक्ष को डिफाल्टर बताते हुए उप रजिस्ट्रार कार्यालय में एक वाद दायर कर उपाध्यक्ष की दबंग आवाज एवं अवलोकन करने तथा करोड़ों रुपए के घपले को दबाने के लिए उल्टा नोटिस दिया गया है।

अधिकारियों द्वारा उपाध्यक्ष की आवाज को दबाने का किया जा रहा कुत्सित प्रयास

सहकारिता विभाग के उच्च अधिकारियों को इतनी शिकायते करने के बावजूद उपाध्यक्ष को किसी प्रकार का कोई जांच तक नहीं दिखाई गई, न अवलोकन करवाया गया। उपाध्यक्ष की आवाज को दबाने के लिए सजातीय अधिकारियों द्वारा व्यवस्थापक को बचाने के लिए वाद दायर करवा कर हटाने की धमकियां दी जा रही है।

पीडीएफ में आई हकीकत सामने

आजकल लोकतंत्र में यही हैं न्याय। भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों के पास एक नया फार्मूला आ चुका है। उसे शायद जनता जाने या न जाने। लेकिन इस पीडीएफ फाइल में सारी हकीकत सामने है।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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