पार्वतेश्वर महादेव पंचमुखी हनुमान के गूंजे जयकारे, श्रोता झूमे, भगवान मंदिर में हुए विराजित
धर्म आस्था : पांच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न
दर्शनार्थ लगी लंबी कतारें, हेलिकॉप्टर से हुई पुष्प वर्षा
नमस्कार नेशन/सिवाना/नवीन सोलंकी
बाड़मेर जिले के सिवाना उपखंड क्षेत्र में स्थित महत्वपूर्ण तीर्थों में शामिल कोटेश्वर धाम प्राचीन काल में जहां कुंती पुत्र और पांडवों ने अज्ञातवास के समय शिव की आराधना की थी, जहां प्राकृतिक शिवलिंग स्थित है। पिछले 5 दिनों से चल रहे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव शनिवार को सम्पन्न हुआ। पार्वतेश्वर महादेव एवं पंचमुखी हनुमान महाशिवरात्रि के पर्व पर साधु संतों के सानिध्य मे हजारो की संख्या में श्रद्धालुओं के जयकारों के साथ वेद मंत्र उच्चारण के बाद प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई।
समाजसेवी व शिवभक्त गंगासिंह काठाड़ी ने बताया कि 14 फरवरी से शुरू हुआ प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव शनिवार सुबह महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर सम्पन्न हुआ। शुक्रवार सुबह विद्वान पंडितों द्वारा लाभार्थी परिवारों के हाथों से विभिन्न प्रकार के अभिषेक के बाद रात्रि को पवित्र देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को धानयानी प्रवेश के बाद शयन कक्ष के लिए विराजमान किया गया, जिसे शिवरात्रि के सूर्य उदय से पूर्व निकाला गया। तत्पश्चात यज्ञ पंडाल में विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों से जागृत किया गया। वहीं जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती काशी पीठाधीश एवं कोटेश्वर महंत सत्यमगिरी के सानिध्य में लाभार्थी परिवार द्वारा सर्वप्रथम मोबाण पूजा की गई, हाथी पर सवार होकर आए लाभार्थी परिवारो ने तोरण वंदन, इन्डा, ध्वजा, गणपति, विराजमान भगवान पार्वतेश्वर महादेव पंचमुखी हनुमान सहित विभन्न देवी देवताओं की प्रतिमाओ को नव निर्मित मन्दिर में प्रवेश कर विराजमान किया। आचार्य पंडित ओमप्रकाश श्रीमाली और उनके सहयोगी महेंद्र श्रीमाली, रणजीत श्रीमाली, सुनील श्रीमाली नागाणा सहित अन्य ब्राह्मणों ने मन्त्रो उच्चारण के साथ पूर्णाहुति के बाद आरती की और भगवान को भोग लगाया।
हेलीकॉप्टर से हुई पुष्प वर्षा, देखने उमड़े हजारों श्रद्धालु
शिखर ध्वज के बाद हेलीपेड से लाभार्थी परिवार द्वारा पांच चक्कर काटते हुए पुष्प वर्षा की गई। हेलीकॉप्टर कम्पनी ए वन के मालिक सोहनसिंह नाथावत से वार्तालाप कर गंगासिंह राठौड काठाडी ने एक अतिरिक्त परिक्रमण अरावली पर्वत माला के छप्पन कि पहाडियो के दर्शन के लिए निवेदन किया, जिसे सोहनसिंह नाथावत ने सहर्ष स्वीकार करते हुए एक अतिरिक्त परिक्रमा का अवसर दिया। जिसमे कोटेश्वर धाम के नव नियुक्त श्रीमहंत सत्यम गिरि व सुंदर गिरी, पुष्प वर्षा के लाभार्थी देवाराम चौधरी व समाज सेवी गंगासिंह राठौड काठाडी के साथ अर्जुनसिंह भायल सिवाना व महंतजी के सारथी मोती देवासी सभी ने हेलिकॉप्टर द्वारा छप्पन कि पहाडियो के दर्शन किए। आशिर्वाद स्वरूप मठाधीशों के सानिध्य में पुष्प वर्षा करते हुए कोटेश्वर होते हुए आसमान से हल्देश्वर कि पहाडियो के दर्शन लाभ लिए। भगवान भोलेनाथ के विशेष दिवस शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ को आसमान से कोटीश नमन करते हुए गंगासिंह राठौड काठाडी ने अपने पूर्वज दुर्गाबाबा का स्मरण किया, जो कि स्वामी भक्ति कि भारत भूमि मे मिशाल रहे है। जिन्होने अपने जीवन काल का अधिकतर समय इसी अरावली पर्वतमाला के छप्पन कि पहाडियो में गुजारा था।
मेले में उमड़े श्रद्धालु, 3 किमी तक लगी वाहनों की कतार
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं महाशिवरात्रि का पर्व होने के कारण दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। हर कोई नवनिर्मित मंदिर में प्रवेश कर दर्शन लाभ लेने की उम्मीद लेकर कोटेश्वर धाम पहुंचता। दोपहर 12 बजे के करीब प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होने के बाद भक्तों के दर्शन के लिए आरती के साथ ही द्वार खोल दिए गए थे। जहां सैकड़ों की तादात में पहुंचे श्रद्धालुओं ने प्राचीन प्राकृतिक कोटेश्वर शिवलिंग के दर्शन के बाद पार्वती स्वर महादेव पंचमुखी हनुमान जी के धोख देकर मन इच्छा फल मंगा, अत्याधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने के कारण वाहनों की लंबी कतारें घोड़ा नाथ गांव से कोटेश्वर धाम 3 किलोमीटर तक लगी रही। जिसे व्यवस्थाओं में लगे अर्जुनसिंह एवं अन्य कार्यकर्ताओं ने पुलिस प्रशासन के सहयोग से संभाल कर रखा और सभी श्रद्धालुओं को प्रेम पूर्वक दर्शन करवाने के बाद भोजन शाला में उपवास रखने वालों ने फलाहार एवं प्रसादी की ग्रहण की।
सहयोग करने वालों का किया सम्मान
महंत गादीपति सत्यम गिरी महाराज द्वारा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में सहयोग करने वाले समस्त कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधियों, वंचित रहे लाभार्थी परिवार, मीडिया बंधु एवं प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी कार्यकर्ताओं का दुपट्टा, साफा, कोटेश्वर धाम की तस्वीर भेट कर बहुमान किया गया। 5 दिनों तक चले इस महोत्सव में ख्याति प्राप्त कलाकारों ने मधुर प्रस्तुति दी। मंच संचालन संतोषसिंह धांधल, तेजसिह राठौड, चन्दनसिंह राजपुरोहित, ओमजी प्रजापत ने किया।