विकास से कोसो दूर सिवाना, जनप्रतिनिधियों की कमजोर पैरवी का दंश झेल रहे आमजन; दमकल तक की व्यवस्था उपलब्ध करवाने में हुए नाकाम साबित, हर वर्ष होता हैं लाखों का नुकशान

विकास से कोसो दूर सिवाना, जनप्रतिनिधियों की कमजोर पैरवी का दंश झेल रहे आमजन; दमकल तक की व्यवस्था उपलब्ध करवाने में हुए नाकाम साबित, हर वर्ष होता हैं लाखों का नुकशान
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सिवाना

अभी चुनाव में कुछ ही दिन शेष रहे हैं प्रत्याशी लोगों को तरह-तरह वादे दिखाकर रिझाने के प्रयास कर रहे हैं। इस बीच कई जगहों पर ग्रामीण यह चर्चा करते देखे जा रहे हैं कि यहां दशकों से भाजपा के विधायक हैं लेकिन उन्होंने कभी दमकल हेतु पैरवी नही की। अब वादों में दमकल का आश्वासन दिया जा रहा हैं। उल्लेखनीय हैं कि सिवाना उपखंड क्षेत्र में आगजनी की घटनाएं होती रहती हैं। परन्तु आग पर समय रहते काबू पाने के लिए सिवाना उपखण्ड मुख्यालय पर दमकल की व्यवस्था नहीं होना यह क्षेत्रवासियों के लिए बड़ी चिंता का कारण है। मगर यह चिंता स्थानीय जनप्रतिनिधियों व उपखण्ड प्रशासन के नजर नहीं आती। इसीलिए यहां दशकों से दमकल की कमी खल रही हैं, बावजूद इसके विधायक ने दमकल को लेकर गंभीर प्रयास कर यह सुविधा मुहैया नहीं कराई। बता दें कि खेतों में फसलें खड़ी रहती हैं, अनाज एकत्रित किया हुआ होता हैं, ऐसे में एक चिंगारी ही उन सब को खाक करने के लिए काफी हैं। इससे उनको काफी नुकसान झेलना पड़ता है। वहीं रहवासी घरों में आग लगने पर उनका सब कुछ जलकर राख में तब्दील हो जाता हैं। घर परिवार पर क्या बीतती होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं। दरअसल उपखंड क्षेत्र सिवाना में हर बार आग लगने के बाद कुआं खोदने वाली कहावत चरितार्थ होती है। मगर समय रहते जनप्रतिनिधि व प्रशासन की ओर से दमकल की मांग को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती। आग लगने की घटना होने के बाद उस पर काबू पाने के लिए जिला मुख्यालय बालोतरा 45-50 किलोमीटर से मंगवाई जाती हैं। तब तक खेतों में खड़ी फसल या घर में रखा घरेलू सामान पूरी तरह से जलकर राख हो चुका होता हैं। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर से जब तक गंतव्य स्थल तक दमकल पहुंचती है तब तक ग्रामीण ही आग पर काबू पाने के लिए जूझते रहते हैं। टैंकरों से पानी डालकर या ट्रैक्टरों से तोई लगाकर आग पर काबू पाने का प्रयास किया जाता है। इसके बाद दमकल पहुंचती है जो खानापूर्ति कर वापिस चली जाती है। इतनी विकराल समस्या के बावजूद अब तक कोई पैरवी नही की गई।

 

दमकल तक कि व्यवस्था नही हो सकी अन्य विकास की क्या उम्मीद?

चुनावी समय हैं तो जाहिर सी बात हैं हर जगह पर चुनावी चर्चा चल रही हैं। ग्रामीण यह बताते नजर आ रहे हैं कि हम हमारे मुद्दों को लेकर वोट करते हैं ताकि जीतने के बाद उक्त समस्या से निजात मिल सकें, लेकिन ऐसा होता नही हैं। और जीतने के बाद मुंह तक नही दिखाते। यह बात यहां मुख्य रूप से गूंज रही हैं। चर्चा यह भी हैं कि सिवाना में पिछले दस सालों से भाजपा के विधायक हैं, लेकिन क्षेत्र के विकास हेतु कोई पहल नही की गई। वो सिर्फ बैठकों में ही व्यस्त रहें। विकास से उनका कोई सरोकार रहा ही नही। इसलिए अब परिवर्तन चाहते हैं और एक ऐसे व्यक्ति को विधानसभा भेंजे जो वास्तव में यहां की समस्या को विधानसभा में मजबूती से रखें ताकि क्षेत्र का विकास हो सकें। क्योंकि अब तक का विकास तो हम देख ही रहे हैं, आज भी सिवाना विधानसभा क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा हैं।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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