सरकारी स्कूल की सेहत खराब, जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी, शिकायत के बाद भी समाधान नही

सरकारी स्कूल की सेहत खराब, जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी, शिकायत के बाद भी समाधान नही
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अभी बारिश का मौसम, छत से टपकता हैं पानी, उखड़ता हैं प्लास्टर, खतरे में बच्चों की जान

मायलावास

सरकार व शिक्षा विभाग भले ही सरकारी स्कूलों में बेहतर व्यवस्थाएं होने का दावा करते हो, लेकिन जमीनी स्तर पर व्यवस्था बदहाल है। बारिश होते ही स्कूलों की छत से पानी टपकने लगता है। किसी स्कूल में फर्श धंसने से हालात खराब है तो किसी जगह प्लास्टर उखड़ता रहता हैं। इस बारे में कई बार लिखित में शिकायत देने के बावजूद भी विभागीय अधिकारी विद्यालयों की मरम्मत नहीं करवा रहे है, जिसके चलते सरकारी विद्यालयों में किसी दिन बड़ी दुर्घटना घटित होने की पूरी संभावना बनी हुई है। दरअसल यह मामला सिवाना उपखंड क्षेत्र के मोतीसरा गांव का हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार 2004 में यहां प्राथमिक स्कूल की स्थापना हुई, और 2007 में इस विद्यालय को क्रमोन्नत कर उच्च प्राथमिक स्कूल बनाया गया। वर्तमान में इस विद्यालय में 110 बच्चे अध्यनरत हैं। लेकिन इस स्कूल भवन के 3 कमरों की हालत जर्ज़र है, अभी बरसात का समय है इसलिए बारिश होने पर तीन कमरों में बारिश का पानी टपकने के साथ प्लास्टर भी उखड़ता रहता हैं, कोई अनहोनी न हो इसलिए शिक्षकों को इन बच्चों को अन्य कक्षाओं में बिठाना पड़ रहा है, जिससे उनको काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा स्कूल भवन की जर्ज़र हालत को देखते हुए उनको जान का खतरा भी नजर आता है। शिक्षकों ने कई बार स्कूल की हालत की जानकारी अधिकारियों को भी दी और वो मौके पर भी आए लेकिन अब तक समस्या का निदान नहीं हो पाया हैं।

 

जानकारी के बावजूद धरातल पर काम नही

उल्लेखनीय हैं कि विद्यालय भवनों की जर्जर स्थिति को लेकर वर्ष पर्यंत सूचनाएं संकलित की जाती है। इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास जर्जर विद्यालय भवनों की जानकारी भी है। बैठकों व वीसी में ऐसी स्कूलों के जीर्णोद्धार, मरम्मत को लेकर प्रस्तावों पर चर्चा की जाती है। परन्तु ऐसे प्रस्तावों पर अमल बमुश्किल ही होता है। प्रत्येक वर्ष जर्जर भवनों की रिपोर्ट पहुंचती है, लेकिन उसके अनुपात में बजट जारी नहीं होने पर विद्यार्थियों को मजबूर होकर जर्जर भवनों में बैठकर ही पढ़ाई करनी पड़ रहा है। स्थानीय विद्यालय का निरीक्षण उपखंड अधिकारी से लेकर विकास अधिकारी तक, शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर विभाग के इंजीनियर भी कर चुके हैं मगर समाधान की दिशा में आज दिन तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया हैं, नतीजन स्कूल की स्थिति दिनों दिन जर्जर होती जा रही हैं।

 

7-8 सालों से यह स्थिति फिर भी यही हालात

बता दें कि इस विद्यालय की यह स्थिति बीते 7-8 सालों से हैं। इस दरम्यान ब्लॉक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यहां का निरीक्षण भी किया होगा, तो क्या इनकी नजरें विद्यालय की इस स्थिति पर नही पड़ी? अगर पड़ी तो देश का भविष्य कहे जाने वाले इन बच्चों की सुरक्षा को लेकर आपके द्वारा अब तक क्या इंतजाम किए गए? विद्यालय के तीन कक्षों की स्थिति जर्जर हैं, इसमें सुधार की सख्त आवश्यकता हैं। अभी बारिश का मौसम हैं और मोतीसरा बाढ़ग्रस्त इलाकों में आता हैं। अगर किसी दिन अनहोनी हुई तो इसके जिम्मेदार कौन होंगे? ऐसे में जरूरी हैं कि शिक्षा के मंदिर कहे जाने विद्यालयों की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए जाएं ताकि वो शिक्षा के माध्यम से भविष्य की इबारत लिख सकें।

 

इनका कहना

बारिश के मौसम में विद्यालय की छत से पानी टपकता हैं, साथ ही प्लास्टर भी उखड़ता रहता हैं, कोई अनहोनी न हो इसलिए बच्चों को अन्य कक्षाओं में बिठाना पड़ता हैं, इस बारे में कई बार शिक्षा विभाग को अवगत करवाया मगर समाधान अभी तक नही हो पाया हैं।

रतनलाल राणावत

प्रधानाध्यापक

 

मेरी जानकारी में नही हैं, इसके समाधान को लेकर मैं बात करता हूँ।

हमीरसिंह भायल, विधायक सिवाना

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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