जिनशासन सबसे महान, बने शासन मेरा प्राण,शासन गर्जना कार्यक्रम उमड़ा जनसैलाब, शासन संवेदना सुनकर नम हुई आंखे

जिनशासन सबसे महान, बने शासन मेरा प्राण,शासन गर्जना कार्यक्रम उमड़ा जनसैलाब, शासन संवेदना सुनकर नम हुई आंखे
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बाड़मेर नगर में पहली हुआ ऐसा अद्भुत कार्यक्रम

बाड़मेर, मरुधर धन्यधरा बाड़मेर नगर में गिरनार भक्त मंडल सूरत – बाड़मेर के तत्वावधान में सर्वप्रथम बार जिनशासन की संवेदना शासन गर्जना का भव्य आयोजन गुरुवार को स्थानीय सुखसागर नगर कोटडिया ग्राउंड विद्या पीठ जैन मन्दिर के पास अनुकरणीय, प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
गिरनार भक्त मंडल सूरत-बाड़मेर के राजू बोथरा व विपुल बोथरा ने बताया कि रात्रि में करीब पांच घंटें संगीत के साथ धारा प्रवाह चले शासन गर्जना के इस शानदार कार्यक्रम में तीन संगीतकार जैनम वारिया, पारसभाई गडा, हर्षित शाह द्वारा जन जन के हृदय में जिनशासन की खुमारी और रोम-रोम में शासन राग प्रकट हो इस तरह की प्रस्तुति भजनों के माध्यम से एवं संवेदनाकार ईशान डोसी, शासनशाह मुंबई ने संवेदना के माध्यम से प्रेरणादायक व चेतना माध्यम से उपस्थित करीब दो-ढाई हजार श्रावक-श्राविकाओं को जैन धर्म के सिद्धान्तों, नियमों व कायदों से अवगत करवाया। उन्होंने अनेक उदाहरणों के माध्यम से बताया कि जैन धर्म के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए अनेक श्रावक श्राविकाओं ने बलिदान दिए वे वंदनीय है । ‘जागों जैनी जागो’ के केवल नारे पर ही निर्भर नहीं रहकर इसको कार्य व्यवहार में लाएं । उन्होंने जैन धर्म के संरक्षण, संवर्द्धन व रक्षा के लिए कुर्बानी देने वाले जैन-अजैनी श्रावक-श्राविकाओं का स्मरण दिलाते हुए कहा कि जैन शासन को युगों-युगों तक कायम रखने के लिए हर तरह के त्याग करना सही मायने में धर्म की पालना करनी है। धर्म की रक्षा के लिए सर्वस्व न्यौछावर करना पड़ें तो भी जैन धर्मावलम्बियों को तैयार रहना चाहिए। अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए जीव दया करते हुए मूक प्राणियों व जीव मात्र की रक्षा के लिए समर्पित रहना। शासन की संवेदना सुनकर उपस्थित जनसमुदाय की आंखे नम हो गई। संगीतकार पारसभाई गडा, जैनम वारिया, हर्षितशाह ने जिनशासन सबसे महान, बने शासन मेरा प्राण, नेम रस, लहरों दो जिनशासन का परचम लहरा दो, वंदे शासनम, अंतरनी अयोध्या राम छे, मननी मथुरानो श्याम छे, परमात्मा बनी जासे मारो आत्मा, तू खूब बने गमे छे म्हारो प्रभू आदि अनेक प्रेरणादायक गीतों के माध्यम से जैन धर्म के सिद्धान्तों की अक्षणु रखने का संदेश दिया।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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