नियमों को ताक पर रखकर फैलता जा रहा बहुमंजिला इमारतों का जाल, अधिकारी नही दे रहे ध्यान

नियमों को ताक पर रखकर फैलता जा रहा बहुमंजिला इमारतों का जाल, अधिकारी नही दे रहे ध्यान
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निर्माण से पूर्व लेनी होती हैं मनपा से अनुमति, लेकिन किया जा रहा दरकिनार

नमस्कार नेशन/सूरत

शहर में कई बहुमंजिला इमारतों का निर्माण नियमों को ताक पर रखकर करवाया जा रहा हैं। वहीं कई बिल्डिंग की अनुमति भी नही हैं, और जिन्होंने ले रखी हैं वो भी धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं शहर में बड़े स्तर पर हो रहे बिना अनुमति के निर्माण कार्यों पर मनपा अधिकारियों की नजर तक नहीं जा रही है। शहर में बिना अनुमति बेसमेंट और चार से पांच मंजिला इमारतें शासन के नियम निर्देशों को ताक पर रखकर बनाई जा रही हैं। इसके बावजूद मनपा बिना अनुमति के निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जिस वजह से ऐसा करने वालों को बढ़ावा मिल रहा है। ज्यादातर व्यावसायिक और आवासीय भवन ऐसे बन रहे हैं, जिनके मकान मालिकों के पास अनुमति तक नहीं है। इसके बाद भी बेसमेंट से लेकर चार से पांच मंजिल तक निर्माण किया जा रहा है। वहीं बाजार में कई चार से पांच मंजिला इमारतें बनी हुई हैं। स्थिति यह है कि इन बहुमंजिला इमारतों में सुरक्षा के उपाय भी नहीं हैं। कार्रवाई न होने पर अधिकांश लोग निर्माण की अनुमति के लिए आवेदन देने ही नहीं आते हैं। जिन लोगों को अनुमति मिली भी हो उन लोगों ने नियम कानून को ताक पर रखकर अपनी मनमर्जी से निर्माण कराया है।

जिम्मेदार अधिकारी नही दे रहे ध्यान

शहर के मुख्य मार्गों पर ही कई वाणिज्यिक उपयोग के लिए बहुमंजिला इमारतों व होटलों का निर्माण नियमों के विरुद्ध हुआ है। जहां शहर में दो मंजिला भवन की अनुमति है तो वहां पर होटल संचालकों ने चार माले का निर्माण कर दिया है। इसी प्रकार अन्य जगहों पर भी बिना अनुमति निर्माण कर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी इस तरफ ध्यान नही दे रहे हैं।

लगभग सभी जगहों पर एक ही स्थिति

नमस्कार नेशन ने शुक्रवार को शहर के कई क्षेत्रों में पहुंचकर निर्मित हो रहे या निर्मित हो चुके हैं बहुमंजिला इमारतों की पड़ताल की तो पाया कि लगभग सभी जगहों पर एक ही स्थिति नजर आई। बाजार से लेकर रहवासी इलाको में कॉम्प्लैक्स तो बन गए। लोगों ने दुकानें भी किराए पर दे दी, और बाजार का स्वरुप दे दिया। लेकिन सुरक्षा के लिए मानक नियमों और आगजनी जैसी घटनाओं से बचने से लेकर पार्किंग के इंतजाम कही पर भी नहीं है। आए दिन पार्किंग से लेकर शहर की व्यवस्थाओं को लेकर बातें तो होती है, लेकिन स्थाई रुप से बेहतर सिस्टम शहर में अब तक कोई भी नहीं तय कर पाया है। इसका खामियाजा बाजार में परेशान होते लोग और असुरक्षा के बीच हर दिन जी रहे हजारों लोग हादसों के साए में होकर भुगत रहे है।

लालच की पट्टी बांधकर, आमजन की जिंदगी से किया जा रहा खिलवाड़

शहर का रिहायशी इलाका धीरे-धीरे व्यवसायिक केंद्र बनता जा रहा है। क्योंकि यहां जो पुराने मकान बने थे, उन्हें तोड़कर आलीशान मॉल और कॉम्पलैक्स का रूप दिया जा रहा है, ताकि दुकानों को बेचकर आय बढ़ाई जा सके। पैसे के लालच में आमजन के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां सिर्फ एक दो नही बल्कि कई बहुमंजिला इमारतें तैयार की जा रही हैं। यह इमारतें आगामी समय में आस-पास के लोगों के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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