स्थानीय बीज एवं भू संरक्षण प्राकृतिक खेती के मुख्य घटक – डाॅ. डी. कुमार

स्थानीय बीज एवं भू संरक्षण प्राकृतिक खेती के मुख्य घटक – डाॅ. डी. कुमार
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बाड़मेर:

लुसिड कोलाइड द्वारा वित्तपोषित एवं श्योर संस्था द्वारा संचालित सतत् ग्वार खेती परियोजना अंतर्गत बीजराड़ संकुल के ग्वार कृषकों की स्थानीय बीज प्रथाओं, जलाभाव सहिष्णुता को प्रोत्साहन एवं पारंपरिक बीज ज्ञान विषय पर – कृषक – वैज्ञानिक संवाद विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए काजरी जोधपुर के पूर्व कृषि वैज्ञानिक डाॅ. डी. कुमार ने किसानों को स्थानीय बीज एवं मृदा संरक्षण हेतु प्रोत्साहित करते हुए कहा कि बीज व मृदा संरक्षण क्षेत्र विशेष में प्राकृतिक खेती के मुख्य स्तंभ है। डॉ. डी. कुमार ने ग्वार की अधिक उपज लेने के लिए फसल चक्र के साथ स्थानीय गुणवत्ता वाले बीजों के उपयोग की आवश्यकता बताई। श्योर संस्था के कृषि वैज्ञानिक एवं परियोजना समन्वयक शिवगिरी स्वामी ने जैविक खेती के माध्यम से उत्पादन विविधता में सुधार लाकर कृषि क्षेत्र में स्थिरता एवं गुणवत्ता के माध्यम से अधिक आय प्राप्त करने के तरीकों पर चर्चा की। श्री स्वामी ने टिकाऊ खेती के लिए प्राकृतिक संसाधनों का समग्र एवं समन्वित उपयोग करने के विभिन्न तौर तरीकों पर किसानों से चर्चा की। परियोजना पर्यवेक्षक अहदी खान ने कृषकों को कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन पर अपने अनुभव साझा किए। ओसमान खान रहूमा ने कृषक प्रतिभागियों का पंजीयन किया। महिला सुपरवाईजर सुश्री स्नेहलता वासु ने कार्यशाला में उपस्थित महिला कृषकों को खेती के कार्यों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रोत्साहित किया।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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