फुटपाथ पर अतिक्रमण से राहगीर परेशान, पैदल चलना भी हुआ मुश्किल

फुटपाथ पर अतिक्रमण से राहगीर परेशान, पैदल चलना भी हुआ मुश्किल
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एनएच ऑथोरिटी की अकर्मण्यता के चलते कई बार अवगत करवाने के बावजूद नही हो रही कार्यवाही

मायलावास

उपखंड क्षेत्र सिवाना के मायलावास चौराया से गुजरने वाले नेशनल हाईवे 325 पर अतिक्रमणकारियों का बोलबाला है। फुटपाथ पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ प्रशासन भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। जिसका नतीजा यह है कि हर रोज राहगीर चोटिल हो रहे हैं। सिवाना उपखंड क्षेत्र का महत्वपूर्ण इलाका माना जाने वाला मायलावास चौराया से गुजरने वाले नेशनल हाईवे 325 के दोनों तरफ राहगीरों के पैदल चलने के लिए बनाए गए फुटपाथ जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से अतिक्रमण की चपेट में है। डिवाइडर के दोनों तरफ कारोबारियों ने फुटपाथ पर कारोबार फैला रखा है। जिससे हर रोज राहगीर गिरकर चोटिल हो रहे हैं। दोनों पटरियों पर कब्जा जमाए बैठे दुकानदारों को बोलने की हिम्मत न तो नेशनल हाईवे ऑथोरिटी में है और न ही प्रशासन को। सब कुछ मनमाने तरीके से चल रहा है। यही हाल स्टेट हाइवे 64 का हैं। लेकिन जिम्मेदारों की अरुचि कार्यवाही में आड़े आ रही हैं। दोनों तरफ फुटपाथ पर राहगीरों को चलना आसान नहीं है। हर रोज किसी ना किसी दुकानदार से राहगीर की नोकझोंक होती है। उल्लेखनीय हैं कि महत्वपूर्ण सड़क मार्ग होने की वजह से हर रोज जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों का इसी मार्ग से आना जाना होता है लेकिन किसी का ध्यान आज दिन तक इस ओर नहीं गया। या जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा हैं। जिसका खामियाजा राहगीरों को उठाना पड़ रहा हैं।

 

खुद के प्रचार के लिए बिगाड़ रहे सड़क की सूरत

दरअसल नेशनल हाईवे द्वारा फुटपाथ इसलिए बनाया गया था ताकि पैदल राहगीर उस पर सफर कर सकें, लेकिन यहाँ दुकानदारों ने खुद के प्रतिष्ठान के होर्डिंग्स, बैनर, सामान रखकर कब्जा कर लिया हैं, इससे सड़क की सूरत बदलने के साथ ही पैदल राहगीरों के लिए मुसीबत बन गई हैं। यहां तक कि थोड़ा सा सामान हटाने का बोलने पर मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं।

 

जिम्मेदार नही करते कार्यवाही

ग्रामीणों ने बताया कि समस्या के बारे में कई बार अवगत करवाने के बावजूद समाधान नही किया जाता हैं। हालात यह हैं कि कई दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठान के बैनर लगाने के लिए स्थाई निर्माण कर दिया हैं। जिसकी शिकायत कई बार की गई मगर जिम्मेदारों के जूह तक नही रेंग रही हैं।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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