सियासत ने ये धरती आसमां बाँटा हैं धर्मों में, हमारे दिल में हिंदुस्तां है हिंदुस्तान रहने दो : कवि सुनील पटेल

सियासत ने ये धरती आसमां बाँटा हैं धर्मों में, हमारे दिल में हिंदुस्तां है हिंदुस्तान रहने दो : कवि सुनील पटेल
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हथाई में देर रात तक जमा कवि सम्मेलन, जुटें काव्य रसिक श्रोता

डूंगरपुर

नवयुवक मंडल एवं समस्त ग्रामवासी हथाई के तत्वाधान में हथाई मुख्य चौराहे पर मंगलवार को एक शाम रामलाल के नाम कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। कवि सम्मेलन के शुभारंभ से पूर्व सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि सुरेश फलोजिया, सरपंच विजयपाल अहारी, उपसरपंच नाथूलाल पाटीदार, के प्रेमी, पंकज गांधी रहें। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। बता दें कि कवि सम्मेलन में वागड़ के प्रसिद्ध कवियों ने कविताओं का जलवा बिखेरा। सभी युवाओं एवं बुजुर्गों ने कवियों का माल्यार्पण कर स्वागत एवं सम्मान किया। कवि रोमिल पाटीदार लाफ्टर ने वागड़ी कविता एक दाड़ो मु चक्कर मय पड़ी गियो सुनाकर तालिया बटोरी। साथ ही नेता बनना हैं तो राष्ट्र हित के लिए नेता बनिए सुनाकर वर्तमान नेताओं की राजनीति पर कटाक्ष किया। नेजपुर के करूण रस के सूत्रधार कवि सुनील पटेल सन्नाटा ने जरूरी है कि “लक्ष्मण जैसा भाई हो तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बनते हैं।” सियासत ने ये धरती आसमां बाँटा हैं धर्मों में, हमारे दिल में हिंदुस्तां है हिंदुस्तान रहने दो। पूरे विश्व में अखंड भारत हो, वागड़ के हर घर से सरदार निकलेगा कविता सुनाकर सरदार पटेल की नेतृत्व क्षमता बताई एवं हर एक जन गण के मन में क्रांति का सैलाब आया था, कविता थी तो पूरे देश में इंकलाब आया था सुनाकर दाद बटोरी। दौलत तो खूब सारी कमा लेंगे हम मगर, मां-बाप से बड़ी कोई दौलत नहीं होती। सुरेश सरगम फलोज ने आज भी भारतीय संस्कृति में करवा चौथ ही स्त्री के लिए महत्वपूर्ण त्यौहार है रचना पढ़कर भारतीय संस्कृति व संस्कारों का वर्णन किया। कवि गोपाल सेवक ने “टीवी नो असर मारी पत्नी माते पड्यो एवो जोरदार, टीवी ना चक्कर में भूली जाए ” रचना पढ़कर सामाजिक जीवन पर टीवी के प्रभाव को रेखांकित किया। छत्रपाल शिवाजी ने रोम रोम में राम रमे है रामायण रघुवीरा जीव-जगत में पंचतत्व में पारायण रघुवीरा, मानस की मर्यादा बोले मनमंदिर हिंडोले आज अयोध्या झूम रही है नारायण रघुवीरा रचना पढ़ी। डॉ. प्रकृति पंड्या रुद्रकृति ने कदम कदम साथ चले गगन गगन घूमें फिर, इधर उधर सबकी कह दी दिल की बातें कह न सकें गज़ल सुनाई। विपुल विद्रोही ने देखो भाग खुले हैं फिर से रामलला के धाम के, पूरा भारत अवध बना है स्वागत में श्री राम के रचना सुनाई। कवि सम्मेलन में हथाई समेत पुनाली खंड के हजारों काव्य रसिक श्रोता मौजूद रहे।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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