टांके का निर्माण कार्य अधूरा, पीड़ित दर दर भटकने को मजबूर; जिम्मेदारों की अनदेखी का 6 वर्ष से खामियाजा भुगत रहा पीड़ित

टांके का निर्माण कार्य अधूरा, पीड़ित दर दर भटकने को मजबूर; जिम्मेदारों की अनदेखी का 6 वर्ष से खामियाजा भुगत रहा पीड़ित
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नमस्कार नेशन/कल्याणपुर

क्षेत्र के ग्राम पंचायत काकराला में छः वर्ष बीत जाने के बाद भी परिवादी दर दर भटकने को मजबूर हैं। टांका नरेगा योजना में निर्माण होने वाला टांका वर्तमान में भी अधूरा पड़ा है। एक दो माह नहीं छः वर्ष बीत जाने के बाद भी टांका निर्माण अधूरा पड़ा नजर आ रहा है। इस प्रकार ऐसा लग रहा है की नरेगा योजना घरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है। वही ग्राम पंचायत द्वारा छः वर्ष पूर्व परिवादी मोतीलाल पुत्र मूलाराम प्रजापत खेत में नरेगा योजना अंतर्गत का टांका स्वीकृत हुआ था। वहीं उसने पानी पीने की आंच जगह थी मगर ग्राम पंचायत के ढीले रवैए के कारण इसका खामियाजा परिवादी को भुगतना पड़ रहा है। कहीं बार ग्राम पंचायत व पंचायत समिति के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को सैकड़ों बार लिखित व मौखिक में भी अवगत करवाया मगर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। वहीं सरपंच द्वारा एक ही ज़बाब मिलता है की बना देंगे। वहीं परिवादी यह ज़बाब सुनते सुनते छः वर्ष बीत गए। ग्राम पंचायत द्वारा टांका निर्माण को लेकर छः वर्ष पहले मटेरियल नाम की मात्र एक बजरी का ट्रिप ही डाला गया था। वह भी बारिश के कारण खेत में फ़ैल गई। बजरी का भी कोई अता पता नहीं। ऐसे में ऐसा लग रहा है कि यह एक टांका निर्माण के लिए परिवादी दर दर भटक रहा है। तो ऐसे कही टांके भी अधूरे पड़े होंगे। 

 

छः वर्ष पूर्व खोदा था सिर्फ गड्डा

छः वर्ष पहले ग्राम पंचायत द्वारा टांका खोदकर छोड़ दिया था। मगर वापस इसको बनवाने को लेकर कोई क़दम नहीं उठाया गया। खुला पड़ा गड्ढा हादसों को निमंत्रण दे रहा है। कहीं बार इस खुलें पड़े गड्डे में कहीं बार पशु भी गिर कर काल कवलित हो चूके हैं। कहीं बार खेत के मालिक द्वारा खेत में जाने पर पशुओं को गड्डे से बाहर भी निकाल गया। वहीं खुलें पड़े गड्डे में कहीं बार खेत में खेलते समय बच्चे गिर जा तो कोई बचाने वाला भी नहीं मिल सकता। हर समय हादसा होने की संभावना रहती है। अगर परिवादी का कहना है कि अगर ग्राम पंचायत इसको लेकर कोई कदम नहीं उठा रहा है। यहां इस गड्डे को वापस रेत से भरवा दे तो अन्दर गिर के पशु काल कवलित नहीं हो। 

  

इनका कहना

छः वर्ष बीत जाने के बाद भी खेत का टांका का निर्माण अधूरा पड़ा है। कहीं बार ग्राम पंचायत व पंचायत समिति अधिकारीयों व जनप्रतिनिधियों को लिखित व मौखिक में अवगत करवाना के बावजूद कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।

 -मोतीलाल प्रजापत ग्रामीण परिवादी

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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