कबाड़ की भेंट चढ़ रहे पोकरण-फलसुंड परीयोजना के पाइप, नसीब नही हुआ पानी; सरकार व निजी एजेंसियों की उदाचीनता की वजह ग्रामीणों को आज भी पानी का हैं बेसब्री से इंतजार

कबाड़ की भेंट चढ़ रहे पोकरण-फलसुंड परीयोजना के पाइप, नसीब नही हुआ पानी; सरकार व निजी एजेंसियों की उदाचीनता की वजह ग्रामीणों को आज भी पानी का हैं बेसब्री से इंतजार
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नमस्कार नेशन/सिवाना

पोकरण-फलसूंड पेयजल परियोजना वर्ष 2005 में राज्य सरकार की ओर से मंजूर की गई थी जिसके अंतर्गत उपखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में मीठा पानी मुहैया करवाने का उद्देश्य था लेकिन जिम्मदारों के ढीले रवैये के चलते आमजन को आज भी पानी का बेसब्री से इंतजार हैं। वहीं दूसरी तरफ देखरेख के अभाव में योजना हेतु रखे गये पाइप भी कबाड़ की भेंट चढ़ रहे है। उल्लेखनीय हैं कि क्षेत्र में बारिश के अभाव में परम्परागत पेयजल स्रोत भी सूखे पड़े हैं। प्रोजेक्ट से वंचित गांवो के बारे में उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को ध्यान में हैं लेकिन इनके ढीले रवैये के कारण लाखों की आबादी आज भी इस परियोजना से वंचित हैं।

 

यह थी पोकरण-फलसुंड पेयजल परियोजना

पोकरण-फलसूंड पेयजल परियोजना वर्ष 2005 में राज्य सरकार की ओर से मंजूर की गई थी। परियोजना के अंतर्गत नाचना से नहरी पानी पोकरण-फलसूंड होते हुए बालोतरा सिवाना तक पहुंचाना प्रस्तावित है। लेकिन आज 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी लोगों को पानी नसीब नही हो पाया हैं।

 

वोट बेंक की राजनीती पर टिकी परियोजना

दरअसल इतने साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को पानी नसीब नही होने की मुख्य वजह वोट बैंक की राजनीति हैं। क्योंकि हर कोई पार्टी या नेता इसका श्रेय लेना चाहते हैं। जबकि यहां पानी की विकराल समस्या हैं। यहां आमजन को समस्या से निजात दिलाने की बजाय खुद की राजनीति चमकाने की पड़ी हुई हैं। इससे लोगों में आक्रोश साफ देखा जा सकता हैं। हालांकि चुनावों के दौरान सभी राजनितिक पार्टियाँ अपना उल्लू सीधा करने के लिए इस योजना को जल्द शुरू करवाने का झूठा वादा तो करते हैं लेकिन पूरा कभी नही करते।

 

कार्य लगभग पूरा, बेवजह अटका पड़ा

जानकारी के मुताबिक गत 2005 से लंबित पोकरण फलसुंड बालोतरा सिवाना पेयजल परियोजना का कार्य पाइप लाइन से लेकर वाटरटेंक निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है। लेकिन स्थानीय नेताओं व सरकार के अधिकारियों ने अभी तक पेयजल आपूर्ति शुरू नही की है। इधर जलदाय विभाग के अधिकारी उपभोक्ताओं को पानी के भारी भरकम बकाया बिल थमा रही है साथ ही पेयजल कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं से मीटर लगवाने पर बाध्य कर रही है। नतीजन गरीब व पिछड़े वर्गों के लोगो पर इस महंगाई में बिना पर्याप्त पेयजल आपूर्ति के बिल भरना व पीने के लिए मोल पानी मंगवाना मुश्किल हो गया है। अब देखना यह हैं कि यह परियोजना कब शुरू होगी और ग्रामीणों को पानी नसीब होगा।

संपादक: भवानी सिंह राठौड़ (फूलन)

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