ताले में कैद महिला चिकित्सक कक्ष, मरीज महिलाओं को नही मिल रहा उपचार
सीएमएचओ व बीसीएमओ कार्यवाही करने में नाकाम, क्योंकि इनकी हर जगह हैं सांठगांठ
चिकित्सक लपको को दे रहे बढ़ावा इसलिए फ्री की दवाई की बजाए बाहर से दवाई खरीदने का बनाते है दबाब
समदड़ी
क्षेत्र का एकमात्र सबसे बड़ा स्वास्थ्य समुदाय केंद्र में लंबे अरसे की मांग के बाद एक महिला चिकित्सक की नियुक्ति करीब 6 माह पूर्व हुई थी महिला चिकित्सक की नियुक्ति होने के कारण स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने वाह वाही लूटने में कोई कोर कसर नही छोड़ी, तो ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की खुशी का ठिकाना नही था अपनी तकलीफों की पीड़ा आसानी से किसी महिला चिकित्सक को बता सके इसी उम्मीद की खुशी में भव्य स्वागत समारोह अस्पताल परिसर में रखा गया जिसमें चिकित्सालय के स्टाफ सहित गांव के मौजिज व्यक्तियों महिलाओं ने महिला चिकित्सक के स्वागत में कोई और कसर नहीं छोड़ी, लेकिन जब कोई अच्छा कार्य हो रहा हो तो अपनी वाह वाही और अपनी पीठ थपथपाने पीछे नहीं रहने वाले जनप्रतिनिधियों ने पिछले 6 माह से इस महिला चिकित्सक के अस्पताल में समय पर नहीं पहुंचने एवं बंद कक्ष को लेकर किसी भी प्रकार की कोई पहरवी नही होने के कारण महिला मरीजों को मजबूरी में पुरुष चिकित्सकों से पुनः अपना उपचार करवाना पड़ रहा है, कई बार ग्रामीणों द्वारा इसकी मांग की गई लेकिन सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।
नमस्कार नेशन की पड़ताल
नमस्कार नेशन की टीम ने जब इस महिला चिकित्सक के नहीं पहुंचने मरीजों की पीड़ा को देखते हुए सच्चाई का पता लगाया तो सामने आया की दरअसल महिला चिकित्सक जब से यहां पर नियुक्त हुई तब से लेकर अब तक ब मुश्किल ही एक माह ही सेवाए दे पाई है जबकि अस्पताल परिचर में क्वाटर से लेकर सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई फिर भी मैडम को रास नही आया अस्पताल इसलिए तबादले की लगातार कोशिश करती रही जब मर्जी हुई तब आ गए नही तो किसी न किसी बहाने से लिव लेकर छुट्टी पर अस्पताल परिचर में, यह विडम्बना हैं कि ऐसे नकारों को मरीजो के इलाज की जिम्मेवारी सौंपी गई हैं।
लपकों पर चिकित्सा महकमा का आशीर्वाद
यहां सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है, जांच निष्पक्ष की जाए और कड़े कदम उठाए जाए तो दवाइयों से लेकर अस्पताल में होने वाले कई घपले उजागर हो सकते है, अस्पताल के बाहर लगे मेडिकल स्टोरों एवं लेबोरिटीनो का दिन भर रहता है अस्पताल में जमावड़ा लपके चिकित्सको से रखते है साठगांठ फ्री की दवाई की बजाए बाहर से दवाई खरीदने का बनाते है दबाब अस्पताल के पीछे क्वार्टरो को मिनी अस्पताल में कर रखा है तब्दील ऐसे कई सवाल है जिनका जवाब कोई नही दे सकता उसका मुख्य कारण है अशिक्षित ग्रामीण सफेदपोश जनप्रतिनिधि हर बात पर राजनीति की रोटियां सेंकने वाले अधिकारियों के चिकित्सको को डरकर अपने व्यक्तियों की अस्पताल में अस्थाई जॉब पर लगाना हैं।
सीएमएचओ व बीसीएमओ नकारे
आमजन में यह व्याप्त हैं कि चिकित्सक भगवान हैं लेकिन यहां नकारे जिम्मेदार हैं। यहां बीसीएमओ जगतनारायण स्वामी एक नम्बर का नकारा हैं इनसे कोई कार्यवाही नही होती। इनको कितनी बार अवगत करवाया मगर इससे कोई कार्यवाही नही होती, वहीं सीएमएचओ की बात करें तो इनके द्वारा भी कोई कार्यवाही नही होती। यह विडम्बना ही हैं कि जिन्हें चिकित्सा महकमा के सुधार की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं ये खरे नही उतर पा रहे हैं, जिला कलेक्टर ने कई बार आदेश जारी किए मगर इन्होंने इस क्षेत्र में कोई कार्यवाही नही की हैं। क्योंकि इनकी सांठगांठ रहती हैं।