सालों से सूखा पड़ा जीएलआर, पशु खेली में पानी नही, प्यास बुझाने भटक रहे मवेशी

सिवाना।

एक समय में 24 घंटे रहता था पानी, विभाग की अनदेखी के चलते आज पानी की बूंद तक नही

सरकार द्वारा गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में पानी पंहुचाने के उद्देश्य से जगह-जगह जीएलआर व पशु खेलियाँ तो बना दी लेकिन उनकी सार सम्भाल एवं पेयजल कनेक्शन नही होने की वजह से क्षेत्र में कई जीएलआर व पशु खेलियाँ आज महज शो पीस बनकर रह गई हैं। सरकार द्वारा भीषण गर्मी को मध्यनजर रखते हुए टैंकरों द्वारा पानी की आपूर्ति करवाई जा रही हैं, लेकिन आज भी क्षेत्र में कई ऐसी पशु खेलियां हैं, जिसमें पानी की बूंद तक नही हैं, मवेशी प्यास बुझाने के लिए आसपास में मंडराते रहते हैं, लेकिन वहां पानी नही होने की वजह से उन्हें व्याकुल होकर अन्य जलकुंड तक पंहुचना पड़ता हैं। उदाहरण के तौर पर जो तस्वीर देख रहे हैं वो उपखंड क्षेत्र के मायलावास चौराया से लुदराड़ा की तरफ जाने वाले रास्ते पर बने जलदाय विभाग के दफ्तर के पिछले भाग की हैं। यहां एक जीएलआर व दो पानी के जलकुंड बने हुए है। पहले यहां 24 घंटे पानी हुआ करता था। जिससे आसपास के खेतों में काम करने वाले किसान खेत जाते वक्त यहीं से पानी की आपूर्ति करते थे। वहीं मवेशियों के लिए यह स्थल किसी वरदान से कम नही था। क्योंकि यहां 24 घंटे प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध रहता था, लेकिन पिछले कई सालों से जलदाय विभाग द्वारा इसकी सुध नही लेने की वजह से यहां बनी जीएलआर व पशु खेली नकारी साबित हो रही हैं।

आपूर्ति हो तो पशुपालकों सहित मवेशियों को मिलेगी राहत

बता दें कि यहां छायादार वातावरण होने की वजह से आवारा पशु सुस्ताते रहते हैं, और प्यास लगने पर यहां बनी पशु खेली के पास मंडराते रहते हैं लेकिन यहां पानी नही होने की वजह से मवेशियों को दर-दर भटकना पड़ रहा हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अभी भीषण गर्मी में आमजन भी पानी की समस्या से परेशान हैं, ऐसे में कम से कम जहां-जहां पशु खेलियाँ बनी हुई हैं वहां पानी की आपूर्ति करवानी चाहिए ताकि कोई भी मवेशी पानी के लिए इधर उधर भटकें नही। क्योंकि इस भीषण गर्मी में पानी की हर जीव को जरूरत होती हैं। ऐसे में अगर यहाँ पर समय-समय पर पानी की आपूर्ति की जाएं तो पशुपालकों सहित मवेशियों को काफी राहत मिलेगी

जलदाय विभाग की अनदेखी के चलते हुए यह हालात

इस जीएलआर में पानी की आवक नही होने के चलते सूखी पड़ी पशु खेली को लेकर विभागीय अधिकारियों को कई बार अवगत करवाया, मगर उनकी तरफ से ऐसा कोई कदम नही उठाया गया कि इसका निस्तारण कैसे किया जाये, नतीजन यह जीएलआर नकारी साबित हो रही हैं। यह विडंबना ही हैं कि जलदाय विभाग द्वारा बनाई गई इस जीएलआर में पानी नही हैं और पशु खेली सुखी पड़ी हैं। भीषण गर्मी को मध्यनजर रखते हुए जलदाय विभाग को इस बारे में सोचने की आवश्यकता हैं।

इनका कहना

सालों पहले यहां 24 घंटे पानी हुआ करता था, लेकिन जलदाय विभाग की अनदेखी के चलते आज यहां पानी की बूंद तक नही हैं, मवेशी यहां प्यास बुझाने आते हैं लेकिन सुखी पशु खेली को देखकर प्यास बुझाने के लिए इधर उधर भटकते हैं, जलदाय विभाग यहां पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि मवेशियों को इधर उधर भटकना नही पड़े।

कमलेश माली, वार्डपंच मायलावास

गांव में पेयजल संकट पहले से ही हैं और अब सरकार द्वारा टैंकरों के माध्यम से जो जलापूर्ति की जा रही हैं, वो सिर्फ कागजों में ही हो रही हैं, क्योंकि सांवरड़ा गांव के शमशान भूमि के पास, मामाजी मंदिर के पास व रामदेव जी मंदिर के पास बनी पशु खेलियों में पानी की आपूर्ति नही की जा रही है, नतीजन यहां प्यास बुझाने के लिए आने वाले मवेशियों को व्याकुल होकर लौटना पड़ रहा हैं, विभाग खाली पड़ी इन पशु खेलियों में भी जलापूर्ति करवाएं ताकि मवेशियों को राहत मिल सकें।

वीरेंद्रपाल सिंह, ग्रामीण सांवरड़ा

उपखंड क्षेत्र के कुसीप ग्राम पंचायत के अंतर्गत खेड़ा खिंदावड़ा मैं बनी पशु खेली सुखी पड़ी हैं, सरकार द्वारा यहां पानी की आपूर्ति नही करवाई जा रही हैं, कभी कभार दानदाताओं द्वारा जलापूर्ति करवाई जाती हैं। भीषण गर्मी को देखते हुए जलदाय विभाग को ऐसी खाली पड़ी पशु खेलियों में पानी की व्यवस्था करवानी चाहिए, ताकि मवेशी अपनी प्यास बुझा सकें।

ताराचंद परमार, खेड़ा खिंदावड़ा, कुसीप

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