साध्वी भाव गुणा श्री अचलगच्छाधिपति आचार्य भगवंत कला प्रभसागर सूरीश्वर महाराजा की प्रेरणा से एवं साध्वी भावगुणा म.सा.आदि ठाणा की निश्रा में रामजी का गोल में चल रहे श्री आर्य गुण ज्ञानोत्सव शिविर के तीसरे दिन साध्वी भावगुणा श्री जी ने बताया कि श्री सिद्धचक्र अनुष्ठान मे नवपद जी का अनुष्ठान रहता हे अनादि काल से चली हुई यह आराधना हम को मोक्ष का फल देती हे इस आराधना से श्री पाल वह मेणा सुंदरी ने मोक्ष को प्राप्त किया यह दृष्टांत पूरे जैन समाज में बहुत प्रचलित हे।आज के दिन बच्चों को पूर्व संस्कृति और पश्चिमी विकृति समझाते हुए पूज्य श्री ने कहा संयुक्त फेमिली में रहने की मजा अलग ही थी। परिवार में भोजन सबका साथ में थे भजन भी साथ में था। वेश परिधान भी प्रादेशिक था सब समाज की पहचान अपने वेश से थी।आज के युग में मोबाईल से बहुत बुरी आदतें छोटे मोटे सब में आ गई है।जीवन को यदि गुणवान बनाना है तो कभी भी ऐसा कार्य कोई मत करना जिसे अपने माता पिता का नाम खराब हो मनुष्य जन्म बार बार नहीं मिलता हे यह जो भव मिला हे इसे सार्थक बनाए वही सुबह में सभी शिविरथियो को योगा व्यायाम करवाए, ओर अलग अलग प्रतियोगिता करवाकर धर्म की प्रभावना बांटी गई।वहीं भक्ति रस की गंगा बहाने आए विजय भाई एंड पार्टी द्वारा जैन भक्ति के एक से बढ़कर एक स्तवन की प्रस्तुति दी गई बाल कलाकार आर्यन बोहरा ने तू खूब मने ग़मे छे वाला आदि प्रभु महारा मन मा तू बसे छै वाला प्रभु, हे यह पावन भूमि यहां बार बार आना जैसे कई भक्ति गीत गाकर सबको मंत्रमुग्ध किया। इस अवसर पर शिविर पर शिविर प्रभारी चंपालाल सिंघवी, राइजिंग पाठशाला मुंबई से रूपल नयन गाला, नीलम विजय देडिया, डिंपल नीलेश हरिया, माधुरी गुलाब हरिया, चेतना हितेंद्र छेड़ा, पूजा सेठिया, हर्षा वडेरा सहित सैकड़ों बालक बालिकाएं उपस्थित रहे।